वह रक्षाबन्धन के दिन
कुछ किलो मीटर की दूरी पर रह रही
बहन को लिवाकर
बाईक से लौट रहा था
उधर तेजी से आते ट्रक ने उसे
टक्कर मार दी
भाई वहीं धाराशायी हो गया
बाजू मे उसके लटका स्वस्थ हेल्मेट रह गया,
तभी घिर आए तमाशबीनो मे से कुछ का मन
भाई को अस्पताल पहुँचाने की गुहार
लगाती बहन के अस्तव्यस्त काया से
दीखते अंगो पर अटक रहा था
तो कुछ व्यवस्था से डरे थे ,
किसी ने उसे अस्पताल नहीं पहुँचाया
वह तड़प - तड़प कर वहीं मर गया
कि तभी
सर्व व्यापी गिद्धों ने
सबको खदेड़ दिया
अब लोथ पर व्यवस्था का क्रूर शिकंजा था
और अविलम्ब
व्यवस्था ने पचास रुपए का चालान
काटकर विक्षिप्त बहन को तत्काल सौंप दिया
उनका मानना था
उस युवक ने हेल्मेट नहीं पहना था ।
प्रणव सक्सेना
Amitraghat.blogspot.com
3 टिप्पणियां:
एक हृदयविदारक और विक्षिप्त मानसिकता को दर्शाता कटु सत्य,
वर्ड वेरिफिकेशन हटा दें असुविधा होती है
आभार
सर्व व्यापी गिद्ध अच्छा व्यंग्य | हेलमेट न पहनने पर चालान भी बना दिया / किसी ने सही कहा है कार्टूनिस्ट से बड़ा कोइ व्यंग्यकार नहीं होता है
man dukhi ho gaya...
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