शुक्रवार, 9 जुलाई 2010
आज
बुधवार, 30 जून 2010
नन्हा कल्ला
रविवार, 20 जून 2010
अब्बा
मंगलवार, 15 जून 2010
बार-गर्ल.(शाब्दिक कोलाज)
रविवार, 30 मई 2010
कबाड़ी वाला
शुक्रवार, 28 मई 2010
अपनी परछाई
बुधवार, 19 मई 2010
अहा !
अहा ! कितनी प्यारी–सी लड़की
जो मिली थी मुझे घूरे पर
मृत-अजन्मी
पर फिर भी मैंने
उसे उठाया और
तब आँख खोल वह मुस्काई
जिसमें थीं अनंत सम्भावनाएँ….
मैंने चूम ली उसकी
अर्ध विकसित नाक
और ली ढेर सारी मुफ़त की मिठ्ठियाँ
उसने पकड़ लिया मेरा चश्मा और
खिलखिला उठी,
लोग अब कोनों से देखकर मुझे
अहमक कहते हैं
पर कई आँखें हैं जो
पूछती हैं कि
हँसती हुई कैसी लगती थी
उनकी
बिटिया............”
बुधवार, 5 मई 2010
चूहा मेरी बहन और रेटकिल
हद्द हो गई !
अब जा के मिला है जेब में,
वो बित्ते-भर का चूहा
जिसे कत्ल कर दिया था बवजह
कई बरस पहले,
मॉरटिन रेटकिल रख के
”नहीं, ये विज्ञापन कतई नहीं है
बल्कि ज़रिया था मुक्ति का..........“
पर फिर भी
चूहा तो मिला है !
और मारे बू के
छूट रही हैं उबकाईयां
जबकि उसी जेब में
-हाथ डालें-डालें गुज़ारा था मैंने जाड़ा
-खाना भी खाया था उन्हीं हाथों से
-हाथ भी तो मिलाया था कितनो से
तब भी,
न तो मुझे प्लेग हुआ
न ही किसी ने कुछ कहा..........“
पर तअज्जुब है कि,
कैसे पता चल गया पुलिस को,
क्या इसलिये कि
दिन में एक दफे जागती है आत्मा,
और तभी से मैं
फ़रार हूँ................,
और भी हैं कई लोग
जो मेरी फ़िराक़ में हैं
जिन्हे चाहिये है वही चूहा,
ये वही थे
जो माँगा करते थे मेरा पेंट अक्सर
इसीलिये मैं नहाता भी था
पेंट पहनकर,
(“था न यह अप्रतिम आईडिया..”)
पर,
अंततः मैं पकड़ा जाता हूँ.....
ज़ब्ती-शिनाख्ती के
फौरन बाद
दर्ज होता है मुकद्दमा
उस बित्ते से चूहे की हत्या का,
और हुज़ूर बजाते हैं इधर हथौड़ा
तोड़ देते हैं वे
अप्रासंगिक निब को तत्काल
और मरने के स्फीत डर से बिलबिला जाता हूँ मैं
कि तभी ऐन वक्त पर
पेश होती है
चूहे की पीएम रपट
कि भूख से मरा था चूहा,
इसलिये मैं बरी किया जाता हूँ
“बाइज़्ज़त बरी”
हुर्रे........................।”
“फू..................”
आप सोचते होंगे कि क्या हुआ
फिर रेटकिल का???
आप बहुत ज़्यादा सोचते हैं,
”हाँ, मैं नशे में हूँ
श्श........श्श..........श्श.....श्श...”
(बहुत धीरे से, एकदम फुसफुसा के..)
बहन को खिला दिये थे
वे टुकड़े चालाकी से
क्यूँकि शादी करी थी उसने
-किसी मुसल्मान से
-खुद के गोत्र में
-किसी कमतर जात में
हा...हा...हा...हा...हा...हा....”
’फिलहाल आत्मा सो रही है....”
और मॉरटिन रेटकिल भी खुश है
क्योकि इस बार चूहा नहीं
बल्कि बहन मरी थी ठीक बाहर जा के.....।”